Monday, February 18, 2019

527.कब तलक

कब तलक ये कब तलक ? कब तलक हाँ कब तलक 

कब तलक ये दृश्य दिखेगा,रक्त बहेगा कब तलक?
वीर जवानों की कुर्बानी,ये देश सहेगा कब तलक?
दुधमुँहे देते मुखाग्नि, पिता के कांधे पुत्र  का शव,
माँ की आँखे पथरायी, सुहाग  मिटेगा कब तलक?

हर ताबूत की शौर्य कथा है ,कहती एक कहानी है
एक गांव की मीठी है यादें,रिश्तों की एक निशानी है
माँ के आँचल का टुकड़ा, बहन की राखी का धागा
पत्नी की आंखों से आँसू,  बहता रहेगा कब तलक?

जान तिरंगे में लिपटी, ताबूत में सिमटी सांस यहाँ
खामोश पड़ी है वीर जवानी, ले हमसे आस यहाँ।
बलिदान हमारा व्यर्थ न हो, कुछ ऐसा संकल्प करो
शांति-वार्ता और संयम की बात करेगा कब तलक?

हर सीमा को तुम पार करो, हाथों को तलवार करो
घर में घुसकर दुश्मन की छाती पे चढ़कर वार करो।
लहू रगों में खौल रहा है, बच्चा-बच्चा बोल रहा है
नहीं रुको अब कूच करो, यूँ सब्र करेगा कब तलक?
©पंकज प्रियम

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