Wednesday, August 28, 2019

634. मुहब्बत

मुहब्बत
नहीं कोई ख़ता मेरी, नहीं कोई शरारत है,
ख़ता तुझसे हुई है पर, किया मुझसे बग़ावत है।
अगर मुझपे यकीं ना हो, जरा दिल से तुम्हीं पूछो-
तुझे मुझसे मुहब्बत है, मुझे तुझसे मुहब्बत है।

बहुत सम्मान करते हैं, तुम्हीं पे नाज करते है,
दफ़न जो राज़ है मेरा, खुलासा आज करते हैं।
ख़ता तूने किया लेकिन, नहीं मुझको शिकायत है-
भुला सारे गिले-शिकवे, नया आगाज़ करते हैं।
©पंकज प्रियम

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