Saturday, August 31, 2019

640.बदनाम न करो

बदनाम न करो

निगाहों से तुम यूँ क़त्लेआम न करो,
हुस्न की नुमाईश यूँ सरेआम न करो।

बहुत ऊँची है नफ़रत की दीवार मगर,
मेरी मुहब्बत को यूँ बदनाम न करो।

अभी तो पहला ही कदम है इस डगर,
जाना है दूर तलक यूँ आराम न करो।

ख़ता हुई तो सजा मौत की दे दो मगर,
किसी का जीना तो यूँ हराम न करो।

नहीं साथ देना तो साफ़ कह दो मगर
रुसवाई का प्रियम यूँ इंतजाम न करो।

©पंकज प्रियम

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