आये हैं हम तेरे द्वार, ओ मुरलीवाले
कर दो न बेड़ा पार, ओ मुरलीवाले।
नज़र हमारी हुई है बूढ़ी
ताकत बची बस है थोड़ी
करूँ मगर जयजयकार, ओ बंसी वाले
कदम हमारे तो लड़खड़ाते
फिर भी न हम तो हैं घबराते,
सब तेरी महिमा अपार, ओ मथुरा वाले।
जग से हुए हैं हम तो बेगाने
न कोई घर है न तो ठिकाने
अब करो तुम उद्धार, ओ वृंदा वाले।
हम हाथ जोड़े दरपर खड़े हैं
तेरे दरस को तनमन अड़े हैं,
करो बैतरणी के पार, ओ यमुना वाले।
आये हैं हम तेरे द्वार, ओ मुरलीवाले,
कर दो न बेड़ा पार, ओ बंसी वाले।
©पंकज प्रियम
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