Wednesday, August 28, 2019

636. मानसी

बधाई मानसी

रचा इतिहास फिर देखो, यहाँ इक और बेटी ने,
कदम लाचार हैं तो क्या, रखा सिरमौर बेटी ने।
जोशी मानसी बेटी, कहाँ हिम्मत कभी हारी-
अगर चाहो सभी मुमकिन, दिखाया दौर बेटी ने।।
©पंकज प्रियम
28 अगस्त 2019

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