समंदर हूँ मैं लफ़्ज़ों का, मुझे खामोश रहने दो, छुपा है इश्क़ का दरिया, उसे खामोश बहने दो। नहीं मशहूर की चाहत, नहीं चाहूँ धनो दौलत- मुसाफ़िर अल्फ़ाज़ों का, मुझे खामोश चलने दो। ©पंकज प्रियम
श्याम कहो घनश्याम कहो तुम, कृष्ण मनोहर रास बिहारी। नंद यहाँ अवतार लियो अरु, गोकुल जा कर गोप मुरारी। नाम अनेक पुराण कथा सब, कृष्ण नचावत सृष्टि ये सारी। कृष्ण हजार हृदय में विराजत, कृष्ण समाहित राधा प्यारी।। ©पंकज प्रियम
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