❆ ग़ज़ल
❆ काफ़िया (तुकान्त) - आम
❆ रदीफ़ (पदान्त) - बेरदीफ़
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भले हो जाएं हम बदनाम,
लगा दो मुझपे इक इल्ज़ाम।
तुम्हारे दिल में रहता कौन,
बता दो सबको मेरा नाम।
तुम्हारे लब तो रहते मौन,
नज़र ही करते सारे काम।
तुम्हारे ख़्वाबों में हमराज़,
डूबा जो रहता सुबहो शाम।
प्रियम ही तेरे दिल का राज़,
दिखा दो मुहब्बत का पैगाम।
©पंकज प्रियम
गिरिडीह, झारखंड
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