ग़ज़ल
2122 1122 1122 22
दिन नहीं होता अब रात नहीं होती है,
दिल नहीं लगता जब बात नहीं होती है।
चैन उड़ जाता जब दूर चली जाती वो,
पास में ख़ास मुलाकात नहीं होती है।
साँस थम जाती जब पास में आती वो,
आँख भर आती बरसात नहीं होती है।
काश की कोई मेरे दिल को संभाले तो
चाहतों सी कुछ सौगात नहीं होती है।
इश्क़ के और प्रियम ढेरों अफ़साने हैं,
खेल मुहब्बत में शह मात नहीं होती है।
©पंकज प्रियम
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