दरिया में समंदर कभी लहरा है क्या
दिल पे भी लगा कभी पहरा है क्या।
इश्क़ में भला तू कभी ठहरा है क्या।
इस हद से आगे कोई गुजरा है क्या।
ये इश्क़ का रंग मुझसे गहरा है क्या?
जो चढ़ गया फिर कभी उतरा है क्या?
समंदर हूँ मैं लफ़्ज़ों का, मुझे खामोश रहने दो, छुपा है इश्क़ का दरिया, उसे खामोश बहने दो। नहीं मशहूर की चाहत, नहीं चाहूँ धनो दौलत- मुसाफ़िर अल्फ़ाज़ों का, मुझे खामोश चलने दो। ©पंकज प्रियम
रूह में समा दीजिये
हुश्न को इश्क़ से मिला दीजिये
मुहब्बत आंखों से पिला दीजिये।
महक उठे खुशबू से चमन सारा
चाहतों के फूल यूँ खिला दीजिये।
छोड़िए दुश्मनी की वजह सारी
दिल को दोस्ती से मज़ा दीजिये।
आपकी गिरफ्त में गुजरे जिंदगी
मुहब्बत की ऐसी सज़ा दीजिये।
मिट जाए प्रियम का वजूद सारा
अपनी रूह में ऐसे समा दीजिये।
©पंकज प्रियम
इश्क़ की आग मेरे दिल में जगाने वाले
अब तो आजा मुझे रातों में जगाने वाले।
दिल की ये आग भला कैसे बुझा पाऊंगा
आजा-आजा मेरे शोलों को बुझाने वाले।
मैं तेरे प्यार में जो नग़मे लिखा करता हूँ
मुझको पागल ही समझते हैं जमाने वाले।
मैं तेरी याद में रातों को जगा करता हूँ
मुझको दीवाना भी कहते हैं बताने वाले।
मेरी चाहत को जमाने से छुपाये रखना
दिल के जज़्बात को दिल में छुपाने वाले।
इस मुहब्बत को निगाहों में बसाये रखना
मेरी तस्वीर को ख़्वाबों में सजाने वाले।
ऐ प्रियम कौन मिटाएगा दुनिया से गज़ल
जब तलक जिंदा हैं दिल को सताने वाले।
©पंकज प्रियम
इश्क़ की आग मेरे दिल में जगाने वाले
अब तो आजा मुझे रातों में जगाने वाले।
दिल की ये आग को कैसे मैं बुझा पाऊंगा
अब तो आजा मेरे शोलों को जलाने वाले।
मैं तेरे प्यार में नग़मे जो लिखा करता हूँ
मुझको पागल ही समझते हैं जमाने वाले।
मैं तेरी याद में जो हररात जगा करता हूँ
मुझको दीवाना भी कहते हैं बताने वाले।
मेरी चाहत को जमाने से छुपाये रखना
दिल के जज़्बात को दिल में छुपाने वाले।
इस मुहब्बत को तू दिल में बसाये रखना
मेरी हर बात को ही दिल से लगाने वाले।
ऐ प्रियम कौन मिटाएगा दुनिया से गज़ल
जब तलक जिंदा हैं दिल को सताने वाले।
©पंकज प्रियम
इश्क़ की आग मेरे दिल में जगाने वाले
अब तो आजा मुझे रातों में जगाने वाले।
इस आग को अब कैसे बुझा सकता हूँ
अब तो आजा मेरे शोलों को जलाने वाले।
मैं तेरे प्यार में नग़मे जो लिखा करता हूँ
मुझको पागल ही समझते हैं जमाने वाले।
मैं तेरी याद में जो हररात जगा करता हूँ
मुझको दीवाना भी कहते हैं बताने वाले।
मेरी चाहत को जमाने से छुपाये रखना
दिल के जज़्बात को दिल में छुपाने वाले।
इस मुहब्बत को तू दिल में बसाये रखना
मेरी हर बात को ही दिल से लगाने वाले।
ऐ प्रियम कौन मिटाएगा दुनिया से गज़ल
जब तलक जिंदा हैं दिल को सताने वाले।
©पंकज प्रियम
इश्क़ की आग मेरे दिल में जगाने वाले
अब तो आजा मुझे रातों में जगाने वाले।
इस आग को अब कैसे बुझा सकता हूँ
अब तो आजा मेरे शोलों को जलाने वाले।
मैं तेरे प्यार में नग़मे जो लिखा करता हूँ
मुझको पागल ही समझते हैं जमाने वाले।
मैं तेरी याद में जो हररात जगा करता हूँ
मुझको दीवाना भी कहते हैं बताने वाले।
मेरी चाहत को जमाने से छुपाये रखना
दिल के जज़्बात को दिल में छुपाने वाले।
इस मुहब्बत को तू दिल में बसाये रखना
मेरी हर बात को ही दिल से लगाने वाले।
ओ"प्रियम" कौन मिटाएगा दिल से गज़ल
जब तलक जिंदा हैं दिल को सताने वाले।
©पंकज प्रियम
इश्क़ की आग मेरे दिल में जगाने वाले
अब तो आजा मुझे रातों में जगाने वाले।
इस आग को अब कैसे बुझा सकता हूँ
अब तो आजा मेरे शोलों को जलाने वाले।
मैं तेरे प्यार में नग़मे जो लिखा करता हूँ
मुझको पागल ही समझते हैं जमाने वाले।
मैं तेरी याद में जो हररात जगा करता हूँ
मुझको दीवाना भी कहते हैं बताने वाले।
मेरी चाहत को जमाने से छुपाये रखना
दिल के जज़्बात को दिल में छुपाने वाले।
इस मुहब्बत को तू दिल में बसाये रखना
मेरी हर बात को ही दिल से लगाने वाले।
ओ"प्रियम" कौन मिटाएगा दिल से गज़ल
जब तलक जिंदा हैं दिल को सताने वाले।
©पंकज प्रियम
इश्क़ की आग मेरे दिल में जगाने वाले
अब तो आजा मुझे रातों में जगाने वाले।
इस आग को अब कैसे मैं बुझा सकता हूँ
अब तो आजा मेरे शोलों को जलाने वाले।
मैं तेरे प्यार में नग़मे जो लिखा करता हूँ
मुझको पागल ही समझते हैं जमाने वाले।
मैं तेरी याद में जो हररात जगा करता हूँ
मुझको दीवाना भी कहते हैं बताने वाले।
मेरी चाहत को जमाने से छुपाये रखना
दिल के जज़्बात को दिल में छुपाने वाले।
इस मुहब्बत को तू दिल में बसाये रखना
मेरी हर बात को ही दिल से लगाने वाले।
ओ"प्रियम" कौन मिटाएगा दिल से गज़ल
जब तलक जिंदा हैं दिल को सताने वाले।
©पंकज प्रियम
इश्क़ की आग मेरे दिल में जगाने वाले
अब तो आजा मुझे रातों में जगाने वाले।
इस आग को अब कैसे मैं बुझा सकता हूँ
अब तो आजा मेरे शोलों को जलाने वाले।
मैं तेरे प्यार में नग़मे जो लिखा करता हूँ
मुझको पागल ही समझते हैं जमाने वाले।
मैं तेरी याद में जो हररात जगा करता हूँ
मुझको दीवाना भी कहते हैं बताने वाले।
मेरी चाहत को जमाने से छुपाये रखना
दिल के जज़्बात को दिल में छुपाने वाले।
इस मुहब्बत को तू दिल में बसाये रखना
मेरी हर बात को ही दिल से लगाने वाले।
ओ"प्रियम" कौन मिटाएगा दिल से गज़ल
जब तलक जिंदा हैं दिल को सताने वाले।
©पंकज प्रियम