Monday, January 1, 2018

पाक नापाक-3

पाक नापाक-3
अरे पाक ! तू फिर औकात पे उतर आया है
चोरों सा मुंह अंधेरे पुलवामा घुस आया है।
दुनिया नववर्ष के स्वागत में खड़ी थी
तुझे ये शर्मनाक हरकत की पड़ी थी!!

सलाम है उन वीर जवानों को
सरहद के अलबेले मस्तानों को
क्या खूब दुश्मनों को धोया है
तेरी शहादत पे फिर भारत रोया है।

अरे पाक!क्या भूल गया तू जंग सारा
हरबार तो कटा है एक अंग तुम्हारा
अमन चैन के दुश्मनों को साथ लाया है
क्या पठानकोठ का सालगिरह मनाया है?

अरे! हिम्मत है तो सामने मैदान में आओ
यूँ न रात अंधेरे अपना अभिमान दिखाओ।
ख़ंजर घोंपा तूने देखा जब देश पूरा सोया है
तेरी नापाक हरकतों से तेरा जिन्ना भी रोया है।

बहुत हो चुका अब तो युद्ध अनिवार्य है
तुझे सबक सिखाने हर जंग स्वीकार्य है
तू रोएगा जार जार हमने तो चार खोया है
मत भूल अपनी तबाही जब भारत रोया है
  जब जब भारत रोया है तूने अपना अंग खोया है।
      ©पंकज भूषण पाठक"प्रियम"
        01.01.2018

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