Tuesday, January 30, 2018

ये भी इश्क़ है


जरूरी तो नही सब कुछ बयाँ कर दे मुहब्बत में
उनके नाम कोरा कागज ही भेज देना भी इश्क़ है।

उनकी परेशानी का हम कोई सबब न बन जाएं
इस ख्याल से पास उनके नही जाना भी इश्क है।

जिसकी एक झलक को उनके शहर चले आते थे
बिन मिले घर के करीब से गुजर जाना भी इश्क़ है।

जिनकी एक तस्वीर भी चुपके रख लिया करते थे
देखे बिना उनके करीब से गुजर जाना भी इश्क़ है।

जिनकी चाहत में हर रोज इंतजार किया करते थे
उनकी मोहब्बत से खुद निकल जाना भी इश्क है।

इजहार में इनकार के ख्याल से डर जाया करते थे
इकरार के इंतजार में वर्षो गुजार लेना भी इश्क़ है।

जिनकी लबो के हंसी के तलबगार हुआ करते थे
उनकी खुशी में खुद खामोश हो जाना भी इश्क़ है।

उन्हें पता भी नही यादों में कैसे हम रोया करते थे
चाहत को उनसे  यूं  नही जताना भी तो इश्क है।

© पंकज भूषण पाठक 'प्रियम"


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