इश्क़ का महीना
लोग कहते हैं इश्क़ कमीना है
हम मानते हुस्न का नगीना है।
देखो चली है हवा ये कैसी
आ रहा मोहब्बत का महीना है।
जनवरी संग देखो गयी सर्दी
प्यार का ये फरवरी महीना है।
वेलेंटाइन पश्चिमी खिलौना है
यहां तो सदियों से मनता
रहा मदनोत्सव का महीना है।
सोलहो श्रृंगार करती सजनी
आ रहा उसका जो सजना है।
यमुनातट आया कृष्ण कन्हैया
संग राधा नाचती ता ता थैया है।
मुरली के धुन पर गोपियां क्या
वृंदावन की नाची सारी गैया है।
फूलों की सुगंध देखो मकरंद
कैसा उड़ता फिरता बौराया है।
बागों में लगे है फूलों के झूले
झूलती सजनी संग सजना है
धरा पे पुष्पों सजा ये गहना है
आया मोहब्बत का ये महीना है।
वंसतोत्सव में झूमता सदियों से
आर्यावर्त का नाता ये पुराना है
प्रेम की हम तो पूजा करते
नही वासना का झूठा बहाना है।
कृष्ण राधा का मीरा का माधव
रति कामदेव का ये महीना है
आया मोहब्बत का ये महीना है
इश्क़ वाला ये फरवरी महीना है।
© पंकज भूषण पाठक "प्रियम"
लोग कहते हैं इश्क़ कमीना है
हम मानते हुस्न का नगीना है।
देखो चली है हवा ये कैसी
आ रहा मोहब्बत का महीना है।
जनवरी संग देखो गयी सर्दी
प्यार का ये फरवरी महीना है।
वेलेंटाइन पश्चिमी खिलौना है
यहां तो सदियों से मनता
रहा मदनोत्सव का महीना है।
सोलहो श्रृंगार करती सजनी
आ रहा उसका जो सजना है।
यमुनातट आया कृष्ण कन्हैया
संग राधा नाचती ता ता थैया है।
मुरली के धुन पर गोपियां क्या
वृंदावन की नाची सारी गैया है।
फूलों की सुगंध देखो मकरंद
कैसा उड़ता फिरता बौराया है।
बागों में लगे है फूलों के झूले
झूलती सजनी संग सजना है
धरा पे पुष्पों सजा ये गहना है
आया मोहब्बत का ये महीना है।
वंसतोत्सव में झूमता सदियों से
आर्यावर्त का नाता ये पुराना है
प्रेम की हम तो पूजा करते
नही वासना का झूठा बहाना है।
कृष्ण राधा का मीरा का माधव
रति कामदेव का ये महीना है
आया मोहब्बत का ये महीना है
इश्क़ वाला ये फरवरी महीना है।
© पंकज भूषण पाठक "प्रियम"
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