Friday, January 26, 2018

तुम तितली बन जाओ



तुम तितली बन जाओ
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रंग विरंगी फूलों का
क्या खूब सजा श्रृंगार है
तुम तितली बन जाओ
बागों में आई बहार है।

हम कांटों में सज जाए
फूलों से तुझे जो प्यार है
तुम तितली बन जाओ
गुलाब बनने को तैयार हैं।

वासन्ती मलयन संग
मकरन्द करत गुँजार है
नवकलियों का यौवन
प्रेम निवेदन स्वीकार है

कामदेव का रति से
चला प्रणय अनुराग है
बावली बन फिर रही
तितली बैठी पराग है।

वासन्ती रंग रँगी वसुधा 
फिजां में छाई बहार है।
फूलों का ओढ़ चादर
सजा सोलह श्रृंगार है।

रस से भीगी है रसा जो
बनी हर कली शबाब है
तुम तितली बन जाओ
बने हम तेरा गुलाब हैं।

फूलों से तितली का जीवन
तितली फूलों का श्रृंगार है
तूम पी लो सारा रस मेरा
हम मुरझाने को तैयार हैं।

©पंकज भूषण पाठक"प्रियम"
26.1.2018

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