Friday, April 3, 2020

805. उम्मीद का दीया

मौत के इस मंजर में,  आओ एक उम्मीद जगायें,
मन का तिमिर मिटाने को आओ एक दीप जलायें।
बहुत घनेरा तमस है फैला, कोरोना के साये में-
जग से इसका खौफ़ मिटाने, आओ एक दीप जलायें।।

©पंकज प्रियम

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