जाहिल
डूब मरो ऐ जाहिलों,
शर्म करो ऐ जाहिलों।
ये तब्लीगी जमात,
है जाहिल करामात।
थू है थूकने वालों पर,
थू है पत्थरबाजों पर।
तन से तो हो रहे नंगे,
मन में भरे केवल दंगे।
कोरोना के वाहक सारे,
मानवता के हैं हत्यारे।
क्यूँ करे इनका इलाज़,
दंडित कर इनको आज।
थूक से जो करते हैं वार,
बस सज़ा के है हक़दार।
©पंकज प्रियम
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