Friday, January 19, 2018

बवाल हो गया

बवाल हो गया
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तुम्हारे हर प्रश्न का मैं सवाल हो गया
मांगा जो जवाब तो बस बवाल हो गया
तुम्हारी बन्दगी में गुजार दी जिंदगी मैंने
चाहा दो पल का साथ बवाल हो गया।

ढूंढते रहे तुम मोहब्बत सड़क दुकानों में 
दिखाया आंखों में इश्क  बवाल हो गया
चले आते हो हर रोज तुम मेरे सपनों में
पूछा जो उनका ख्याल बवाल हो गया।

तेरी यादों में  गुजरती है आंखों में रातें
वो किस्से वो अपनी मोहब्बत की बातें
छुपकर तो कब से  बैठे हो मेरे दिल मे
मांगा उसका हिसाब बवाल हो गया।

रोज रहता है तुम्हारे लबों पे नाम मेरा
हमने ले लिया तो बस बवाल हो गया
चुरा के रखा है पास अपने  दिल मेरा
हाल  पूछा उसका तो बवाल हो गया।
    ©पंकज भूषण पाठक "प्रियम"

19.01.2018

12 comments:

संजय भास्‍कर said...

लिखें तो बवाल न लिखें तो बवाल...शब्दों का बवाल पसंद आया!

पंकज प्रियम said...

धन्यवाद

पंकज प्रियम said...

धन्यवाद

पंकज प्रियम said...

धन्यवाद

Anita Laguri "Anu" said...

खुबसूरत बवाल ...हो गया.. बहुत खुब लिखा आपने..!

पंकज प्रियम said...

धन्यवाद
मेरे बवाल को समझा आपने
मैं तो बस यूं निहाल हो गया

Sweta sinha said...

जी नमस्ते
आपकी लिखी रचना सोमवार २२जनवरी २०१८ के विशेषांक के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

पंकज प्रियम said...

धन्यवाद आभार

Sudha Devrani said...

सुन्दर बवाल....
वाह!!!

NITU THAKUR said...

लाज़वाब रचना
बहुत बहुत बधाई

पंकज प्रियम said...

आभार सभी को। मां सरस्वती अपना आशीर्वाद हमसब पर बनाये रखे

पंकज प्रियम said...

जी धन्यवाद