Thursday, February 22, 2018

ये तेरा इश्क़ कैसा है

ये तेरा इश्क़ कैसा है
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किसी के नाम पे हमने,लफ्ज़ो को सँवारा है।
लबों पे नाम आ जाए,नही उसको गवारा है।
 ये तेरा इश्क़ कैसा है,ये मेरा इश्क़ कैसा है

कभी खुलके हंसता है,कभी चुपके से रोता है
कभी रातों में जगता है,कभी राहों में सोता है।
  ये तेरी नींद कैसी है,ये मेरा ख़्वाब कैसा है।


कभी दरिया को ठुकराता,कभी शबनम पीता है
कभी सांसो में मर जाता,कभी ख्वाबों में जीता है।
   ये तेरी प्यास कैसी है, ये मेरा प्यास कैसा है।

वो रोज ही सपने दिखाती, उसे फिर तोड़ जाती है
वो दो कदम साथ चलाती,फिर राह छोड़ जाती है।
     ये तेरा साथ कैसा है,ये मेरा साथ कैसा है।

किसी के चाह में हमने ,रात आंखों गुजारा है
किसी के राह में हमने,बर्षों जीवन यूँ गुजारा है
    ये तेरी राह कैसी है ,ये मेरा मार्ग कैसा है।

कभी मूरत से सूरत हो ,तुम मेरी जरूरत हो
सपनों से निकल जाओ,तुम मेरी हकीकत हो।
 ये तेरा ख़्वाब कैसा है ये मेरा ख़्वाब कैसा है।

 गुलाबो में बिखरता है कभी कांटो में पलता है
हवाएं खूब चलती है दीपक फिर भी जलता है
   ये तेरी आग कैसी है ये मेरा राग कैसा है

किसी के  इश्क़ में हमने, शब्दों को सजाया है
अमर हो जाये क़िस्से जो,वो इतिहास बनाया है
    ये तेरा नाम कैसा है ये मेरा नाम कैसा है।

लबों पे नाम आ जाए नही उसको गवारा है
कोई कह दे पागल है कोई कह दे आवारा है।
  ये तेरा इश्क़ कैसा है ,ये मेरा इश्क़ कैसा है
©पंकज प्रियम
 22.2.2018

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