उसने पूछा मुझसे ,क्यूँ इंतजार करते थे
मैने बोला उससे, बहुत ही प्यार करते थे।
ये तेरा प्रश्न कैसा है, मेरा जवाब कैसा है
खड़े तकके दर पे हम यूँ इंतजार करते थे।
उसने पूछा हमसे क्या तुम काम करते थे
मोहब्बत नाम है जिसका वो काम करते थे
वो तेरा इश्क कैसा था ये मेरा इश्क़ कैसा है
अपना हर घड़ी हरपल तेरे नाम करते थे।
कभी गर ना आयी तो हम बेकरार रहते थे
तेरे घर की राहों में खड़ा इंतजार करते थे।
वो दिनरात कैसा था अब ये बात कैसा है
तेरे इनकार को भी हम यूँ स्वीकार करते थे।
तभी पूछा नही हमसे क्यूँ इंजतार करते थे
कभी बुझा नही दिलसे कितना प्यार करते थे।
वो तेरा रुआब कैसा था ये मेरा रुआब कैसा है
कभी आंखों में पढ़ते तो क्यों इन्तजार करते थे।
तेरे ही नाम जीते थे तेरे ही नाम मरते थे
तेरे ही नाम से तो हम सुबहोशाम करते थे
वो तेरा नाम कैसा था ये मेरा नाम कैसा है
तेरे हंसी की चाहत का यूँ इंतजाम करते थे।
यकीन ना हो तो पूछो अपने दिल से तुम
मेरी याद में ही तुम क्यों गुमसुम रहते थे
ये तेरा वज्म कैसा है ये मेरा नज़्म कैसा
जरा दिल से पूछो तो कितना प्यार करते थे।
उसने पूछा हमसे, क्यूँ इन्तजार करते थे
मैन बोला उससे बहुत ही प्यार करते थे।
©पंकज प्रियम
25.2.18
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