Friday, February 9, 2018

हंसी पे मचा बवाल है

एक हंसी पे फिर मचा बवाल है
सियासी गलियों उठा सवाल है।
पांचाली हंसी थी दुस्साशन पे
तो कुरुक्षेत्र में हुआ बवाल था।

हंसने की कोई मनाही नही पर
राज्यसभा में हुआ अट्टहास है
संसद की गरिमा पर ठोकर
सदन का ये हुआ परिहास है।

सत्ता ने जो चोट किया तो
विपक्ष उठा लेकर सवाल है
नेता की हंसी पर देखो
कैसा मच गया ये बवाल है।

जनता भी कितनी भोली
बोल पड़ती नेता की बोली
शासन का यही तो कमाल है
एक हंसी में मचा बवाल है।

फिजूल के झगड़े में फंसती
जनता घनचक्कर बनती
देश मे कई और बड़े सवाल हैं
एक हंसी पे मचा बवाल है।

हंसी क्या उस चेहरे पे आई?
तेरे आंखों में आँसू भी आई
बेटा, पति और पिता की जब
सरहद से ताबूत में लाश आई

सूखे खेत भूखे किसान
खुद से लड़ते हम इंसान
कहेंगे क्या बत्तमीज सवाल है
एक हंसी पे मचा बवाल है।

सूर्पनखा पे फिर रामायण होगा
लहू बहाता युद्ध पारायण होगा
भूख बेरोजगारी कितने सवाल है
एक हंसी पे मचा इतना बवाल है

मुद्दों से ध्यान हटाओ नही
जनता को मूर्ख बनाओ नही
रोटी रोजगार बड़ा सवाल है
एक हंसी पे मचा बवाल है।

©पंकज भूषण पाठक"प्रियम"

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