Thursday, February 8, 2018

इज़हारे इश्क़

इजहारे इश्क़
Day2...Happy propose Day

तब भी तुम खामोश रहे
अब भी लब खामोश तेरे
पूछा जो सवाल तो
उड़ा गए  फिर होश मेरे
जो तूने प्यार किया
क्यूं न इजहार किया
तूने देखा  दिले हाल मेरे
अरमानों को जलाया मेरे
हाँ मैने था प्यार किया
तुझसे था इजहार किया
तूने ही फूल बिखराया मेरे
जो कदमों में बिछाया तेरे
जो हसरत थी दिल मे
कुछ पल रहूँ आगोश तेरे
तब भी लब खामोश तेरे।
अब तेरी मजबूरी है
कहना क्या जरूरी है
प्रेम नही उसे पा लेना है
कुछ पल साथ जी लेना है
आंखे ही सब कह देती
जो रहे लब खामोश तेरे
जी लूं कभी आगोश तेरे
हम नही कोई गुजरा कल
जो फिर लौट के आ ना सके
जब भी चाहो आ पास मेरे
मिल जाएंगे दिल के पास तेरे
©पंकज भूषण पाठक "प्रियम

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