गीत
मापनी-212 212 212 212
मापनी-212 212 212 212
मुखड़ा-
नाम लेकर तेरा.... गुनगुनाने लगे
याद करके तुझे.... मुस्कुराने लगे।
प्यार में इस कदर हम दिवाने हुए।
ख़्वाब में भी तुझे हम जगाने लगे।
नाम लेकर तेरा.... गुनगुनाने लगे
याद करके तुझे.... मुस्कुराने लगे।
प्यार में इस कदर हम दिवाने हुए।
ख़्वाब में भी तुझे हम जगाने लगे।
अंतरा-1
संगमरमर बदन वो झलकता हुआ
रूप यौवन भरा वो छलकता हुआ।
आँख से जाम तुम जो पिलाने लगे
ताल से ताल..हम तो मिलाने लगे।
नाम लेकर....
2
ज़ुल्फ़ सावन घटा घोर छाने लगी।
हुस्न को देख..बरसात आने लगी।
आग पानी में तुम, जो लगाने लगे,
इश्क़ की आग दिल में जलाने लगे।
नाम लेकर .....
3
धड़कनों में सदा तुम धड़कते रहे।
सांस बनकर रगों में फड़कते रहे।
जिस्म से रूह में तुम उतर जो गए,
जान लेकर ...मेरी जां बचाने लगे।
नाम लेकर ...
4
होठ अंगार .जलते-दहकते सनम।
होश मदहोश करते बहकते कदम।
बिजलियाँ इस कदर जो गिराने लगे
चोट खाकर....तुम्हीं में समाने लगे।
नाम लेकर...
5
लफ्ज़ बनके कलम से बिखरते रहे
गीत ग़ज़लों में ढलते निखरते रहे।
चाँद बनके गगन झिलमिलाने लगे
फूल भी बाग में खिलखिलाने लगे।
नाम लेकर....
संगमरमर बदन वो झलकता हुआ
रूप यौवन भरा वो छलकता हुआ।
आँख से जाम तुम जो पिलाने लगे
ताल से ताल..हम तो मिलाने लगे।
नाम लेकर....
2
ज़ुल्फ़ सावन घटा घोर छाने लगी।
हुस्न को देख..बरसात आने लगी।
आग पानी में तुम, जो लगाने लगे,
इश्क़ की आग दिल में जलाने लगे।
नाम लेकर .....
3
धड़कनों में सदा तुम धड़कते रहे।
सांस बनकर रगों में फड़कते रहे।
जिस्म से रूह में तुम उतर जो गए,
जान लेकर ...मेरी जां बचाने लगे।
नाम लेकर ...
4
होठ अंगार .जलते-दहकते सनम।
होश मदहोश करते बहकते कदम।
बिजलियाँ इस कदर जो गिराने लगे
चोट खाकर....तुम्हीं में समाने लगे।
नाम लेकर...
5
लफ्ज़ बनके कलम से बिखरते रहे
गीत ग़ज़लों में ढलते निखरते रहे।
चाँद बनके गगन झिलमिलाने लगे
फूल भी बाग में खिलखिलाने लगे।
नाम लेकर....
©पंकज प्रियम
3 comments:
बहुत खूब.... खूबसूरत
बहुत ही सुन्दर
सादर
bahut abhar ap dono ka
Post a Comment