Saturday, November 2, 2019

710. ज़िंदगी का सफ़र

सफ़र अनजान को सफर कर लेना,
काँटों भरी राह को भी हौसलों से
फूलों से सजा तुम डगर कर लेना।

जिंदगी को बस यूं गुज़र कर लेना
रोज खिलते हंसी फूलों की तरह
मुस्कुराहटों से ही सहर कर लेना।

बन जाओ किसी चेहरे की हँसी,
रोज धड़कते दिलों की ही तरह
लोगों की सांसों पे असर कर लेना।

बहुत ही खूबसूरत है ये जिंदगी,
होके मायूस न कभी इस तरह
कभी जीवन में न जहर कर लेना।

बड़ी मुश्किल से मिलती है खुशी,
होके रुसवा न कभी इस तरह
हंसी में न गमों को बसर कर लेना।

बहुत छोटी है ये अपनी जिंदगी
बन जाओ मुस्कुराहटों की वजह
हंसी बाँटते ही यूँ सफ़र कर लेना।
©पंकज प्रियम

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