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मुहब्बत मुहब्बत मुहब्बत हमारी,
सलामत रहे प्यार चाहत हमारी।
नहीं ख़्वाब कोई नहीं चाह कोई,
नहीं कोई तुझसे शिकायत हमारी।
नहीं फूल गुलशन, नहीं चाँद तारे,
नहीं झूठ कहने की आदत हमारी।
लिखेगा जमाना फ़साना हमारा,
बनेगी कहानी ये उल्फ़त हमारी।
प्रियम की मुहब्बत तुम्हारी जवानी,
दिलों के शहर में रियासत हमारी।
©पंकज प्रियम
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