Sunday, November 17, 2019

728. सुप्रीम कोर्ट पर भी सवाल?

क्या सुप्रीम कोर्ट से बड़ा है मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड और ओबैसी? जबकि सभी को इसपर टीका टिप्पणी करने पर रोक लगा दी गयी है तो इनके खिलाफ कार्रवाई क्यूँ नहीं? जो लगातार ज़हर उगल रहा है।
AIPLB ने अपनी पप्रेस कांफ्रेंस में आधी अधूरी बात रखी और कोर्ट के फैसले की गलत व्याख्या की। सिर्फ वही बातें रखी जो उसे सूट करती हो। जबकि अन्य बातों का जिक्र नहीं किया जैसे-

1. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि asi की रिपोर्ट में साबित होता है कि मस्जिद के नीचे गैर इस्लामिम ढांचा मिला है जिसमें  मूर्तिया और मंदिर के खम्भे मिले जो किसी मंदिर के होने की पुष्टि करता है। यानी कि मस्जिद समतल जमीन पर नहीं बनी है। बोर्ड ने गलत व्याख्या करते हुए कहा कि मंदिर तोड़कर मस्जिद नहीं बनी।

2. 1949 तक नमाज़ पढ़ने की बात कही लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि वहाँ पर भगवान राम की पूजा आराधना सदियों से होता रहा जिसका जिक्र बोर्ड ने नहीं किया। भारत मे राम का अस्तित्व और उनकी आस्था हजारों साल पुरानी है जबकि भारत में बाबर के बाद मस्जिद और मुस्लिमों का अस्तित्व हुआ।

3. 1857 से पहले वहां मंदिर था जिसके ऊपर मीर बांकी ने बाबरी मस्जिद बनाई जिसका जिक्र बोर्ड ने नहीं किया।

4.भारत के कई मन्दिरों को तोड़कर या क्षति पंहुचाकर विदेशी आक्रमणकारियों ने हर जगह मस्जिद बनाई जिसका जीवंत उदाहर काशी और मथुरा का मंदिर है जिसे आँख का अंधा भी देख सकता है। इसी तरह अयोध्या में हुआ है जो ASI की खुदाई में साबित हो गयी लेकिन यह बात बोर्ड को दिखाई नहीं देती।

5. बोर्ड ने कहा कि राम की मूर्ति जबरन चोरी से रखी गयी लेकिन इस बात को भूल गए कि पहले वहाँ पूजा होती थी जिसके बाद अतिक्रमण मुस्लिमों ने किया तो अंग्रेजों ने बीच में लोहे की जाली डाल कर विवाद रोकने की कोशिश की।

6. सुनवाई से पूर्व सभी मुस्लिम पक्षकार सुप्रीम कोर्ट के हर फैसले को मानने की बात कर रहा था लेकिन अब उसे फैसला मंजूर नहीं। अगर फैसला उल्टा होता तब क्या करते? एक माह पहले तक ओबेसी चीख चीख कर ख़ता था कि कोर्ट का फैसला ही अंतिम मान्य होगा जबकि अब वह हर जगह मुसलमानों को भड़काने में जुटा है।

7. जबकि बोर्ड कोई पक्षकार नहीं था तो फिर आज वह किस हैसियत से रिव्यू पिटीशन दाखिल करने की बात कह रहा है?

8. कुरआन के मुताबिक जिस मस्जिद में लंबे अरसे तक नमाज़ न पढ़ी गयी हो उसका कोई महत्व नहीं रज जाता तो फिर आज ये कोर्ट के फैसले को नामंजूर कर देश की अखण्डता को त्तोड़ने की घटिया कोशिश भर है।

9. सदियों तक जो मामला बवजह कोर्ट में लटका रहा उसका इतना न्यायपूर्ण पटाक्षेप हो गया और मुस्लिम पक्षकार को अलग से दुगुनी जमीन भी देने का फैसला हुआ तो फिर इस मामले को उलझा कर कुछ लोग देश को अशांत करने की कोशिश कर रहे हैं।

10. मुस्लिम बोर्ड क्या संविधान से ऊपर है जो अपने हर मामले पर कोर्ट के फैसले पर उंगली उठाता है? ओबेसी जैसे लोगों पर कानूनी कार्रवाई क्यूँ नहीं? जो हर वक्त देश कप तोड़ने की बात करता है।


©पंकज प्रियम

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