ग़ज़ल
मुलाकात
122 122 122 122
नज़र की नज़र से मुलाकात होगी,
दिलों की दिलों से तभी बात होगी।
कभी जो नज़र ये हमारी मिलेगी,
यकीनन सितारों भरी रात होगी।
मिलेगी नज़र जब हमारी तुम्हारी,
सुहाना सहर और जवां रात होगी।
चलेंगे तुम्हें साथ लेकर सफ़र जो,
हमारे डगर फूल बरसात होगी।
प्रियम को तुम्हारी मुहब्बत मिले तो,
भला और क्या कोई सौगात होगी।
©पंकज प्रियम
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