1222 1222 1222
जहाँ हर काम ही बेकार लगता है,
वहाँ हर आदमी लाचार लगता है।
वहाँ हर आदमी लाचार लगता है।
किसी को क्या कहोगे तुम यहाँ बोलो,
यहाँ हर आदमी सरकार लगता है।
यहाँ हर आदमी सरकार लगता है।
ख़बर किसकी पढूँ किसको सुनाऊँ मैं,
बिका हर पेज ही अखबार लगता है।
बिका हर पेज ही अखबार लगता है।
भला हथियार की कोई कहाँ जरुरत है
जहाँ हर लफ़्ज़ ही तलवार लगता है।
जहाँ हर लफ़्ज़ ही तलवार लगता है।
प्रियम अब और कितना खोलना दिल को,
यहाँ हर दिल बिका बाज़ार लगता है।
यहाँ हर दिल बिका बाज़ार लगता है।
©पंकज प्रियम
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