ख़बर का असर
ग़ज़ल
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ख़बर का असर भी होता है साहब,
ख़बर का मुक़द्दर भी होता है साहब।
अगर बात को जब घुमाया गया तो,
उसी बात से डर भी होता है साहब।
ख़बर में कभी जो मसाला लगाया
वही एक नश्तर भी होता है साहब।
लिखो बात वो तुम ख़बर जो सही है,
गलत बात ख़ंजर भी होता है साहब।
प्रियम" ने लिखा जो हकीकत वही है,
ख़बर का कहर भी होता है साहब।
©पंकज प्रियम
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