Monday, November 18, 2019

729. जान तो है

जान तो है

1222 1222 122
नहीं कुछ है मगर जान तो है,
गरीबी है मगर अरमान तो है।

नहीं बिकता महज़ कुछ रुपयों में,
जमीरी को बड़ा सम्मान तो है।

खरीदे जो मुझे औकात किसमें,
मिला माँ का मुझे वरदान तो है।

कटे हैं पँख तो क्या बैठ जाऊं?
गगन से भी ऊँची उड़ान तो है।

कभी कमजोर मत समझो प्रियम को
गये सब लूट लेकिन शान तो है।
©पंकज प्रियम

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