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आवाज़ लगा आज मुहब्बत को बुला लो,
नाराज़ न हो जाय कहीं दिल तो मिला लो।
आवाज़ लगा आज मुहब्बत को बुला लो,
नाराज़ न हो जाय कहीं दिल तो मिला लो।
खुदगर्ज़ जमाने से भला और सितम क्या?
साँसें न बिखर जाय कहीं फूल खिला लो।
साँसें न बिखर जाय कहीं फूल खिला लो।
ये प्यार मुहब्बत की डगर चाहते चलना,
काँटों से भरी राह को फूलों से सजा लो।
काँटों से भरी राह को फूलों से सजा लो।
किरदार निभाना तुझे जीवन ने दिया जो,
जीवन के सफ़र में तो यहाँ रोज़ मज़ा लो।
जीवन के सफ़र में तो यहाँ रोज़ मज़ा लो।
हर राज़ को सीने में दफ़न कर न प्रियम तू
अल्फ़ाज़ न खो जाय कहीं साज़ बजा लो।
©पंकज प्रियम
15/11/2019
अल्फ़ाज़ न खो जाय कहीं साज़ बजा लो।
©पंकज प्रियम
15/11/2019
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