Sunday, May 17, 2020

इश्क़ की आग मेरे दिल में जगाने आजा
आजा आजा मुझे सीने से लगाने आजा।

प्यार के फूल मेरे दिल में खिलाने आजा
आजा आजा मुझे खुद से मिलाने आजा।

जाम पैमाग जो आँखों से छलकता तेरा
अपने होठों से वही जाम पिलाने आजा।

इश्क़ की आग जो सीने में जला रक्खा है
इश्क़ की आग से वो आग बुझाने आजा।

प्यार का ज्वार जो साँसों ने उठा रक्खा है
अपनी मौजों से ही उसको गिराने आजा।

जवां दिल जोश में जो होश गवां बैठा है,
अपने आगोश में ले होश जगाने आजा।

जब तलक जिंदा रहा रोज रुलाया तुमने,
मेरी मैय्यत पे अभी अश्क़ बहाने आजा।

तेरी यादों का 'प्रियम' दीप सजा रखा है
अपने हाथों से वही दीप जलाने आजा।

©पंकज प्रियम

No comments: