Wednesday, May 6, 2020

829. उसपार चलो


मध्दम-मद्घम सा सूरज,
साँझ सिन्दूरी सुरमई।
हाथों में ले हाथ सजन,
तुझमें मैं तो खो गई।

डूब रहा सूरज क्षण-क्षण,
नभ बादलों का डेरा है।
अम्बर-धरती का ये मिलन,
बस लगता तेरा-मेरा है।

सूरज की किरणों से देखो,
स्वर्णिम आभा है बिखरी।
अम्बर को आलिंगन कर के
कण-कण धरती है निखरी।

हाथों में ले हाथ सजन,
चलो चलें उसपार प्रियम।
हो सुहानी रातें और बस
प्यार-मुहब्बत का मौसम।
©पंकज प्रियम

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