Thursday, May 14, 2020

835. कोरोना से जंग

कोरोना से जंग

हम कोरोना से लड़ेंगे, हाँ मिलकर आगे बढ़ेंगे।
पाट बीमारी की खाई, चाँद पे फिर हम चढ़ेंगे।।

जेब अभी गर है खाली, होगी फिर से खुशहाली।
ईद-मुबारक और होली, हाँ रौशन होगी दीवाली।
बजेगी घर-घर शहनाई, फिर दूल्हे घोड़ी चढ़ेंगे,
हम कोरोना से लड़ेंगे, हाँ मिलकर आगे बढ़ेंगे।।

सड़कों पे नहीं कोई सन्नाटा, सरपट गाड़ी चलेगी।
बाजार में रौनक फिर होगी, सबको शांति मिलेगी।
स्कूल सभी खुल जाएंगे, सब बच्चे फिर से पढ़ेंगे।
हम कोरोना से लड़ेंगे, हाँ मिलकर आगे बढ़ेंगे।

घरों से बाहर निकलेंगे, फिर रोजी-रोटी पांएगे।
जमकर खूब कमाएंगे, मिलजुल बांट के खाएँगे।
मेहनत मजदूरी कर के इतिहास नया फिर गढ़ेंगे।
हम कोरोना से लड़ेंगे, हाँ मिलकर आगे बढ़ेंगे।।

सात सुरों की फिर सरगम, संगीत नया सुनाएंगे,
झूमेंगे और नाचेंगे, हम गीत नया फिर गाएंगे।
छोड़ के नफऱत की बातें, प्रेम की भाषा पढ़ेंगे।
हम कोरोना से लड़ेंगे, हाँ मिलकर आगे बढ़ेंगे।

कोरोना जो आया है, सबक हमें जो सिखाया है,
ताउम्र रखेंगे याद उसे, ये पाठ हमें जो पढ़ाया है।
छोड़ पुरानी यादों को, तस्वीर नई फिर मढेंगे,
हम कोरोना से लड़ेंगे, हाँ मिलकर आगे बढ़ेंगे।।

खौफ़ में जब दुनिया सारी, हमने झण्डा उठाया है,
साहित्य सृजन कर हमने जनजागरण फैलाया है।
साहित्योदय के संग मिल, जंग कोरोना की लड़ेंगे,
हम कोरोना से लड़ेंगे, हाँ मिलकर आगे बढ़ेंगे।

©पंकज प्रियम
14/05/2020

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