मुक्तक सृजन
2122 2122
1
कर मुहब्बत लिख कहानी,
क्या मिलेगी फिर जवानी।
चार दिन की ज़िन्दगी में-
रोज जी ले जिन्दगानी।।
2
लिख फ़साना रख निशानी,
फिर कहाँ यह रुत सुहानी।
चार पल का है ये जीवन-
रोज करना कुछ तुफानी।।
3
हाँ कभी मत कर गुमानी,
खत्म हो जाती जवानी।
तन उधारी मन उधारी-
रख हमेशा आँख पानी।।
4
फिर भले हो दिल रूमानी
रख न रिश्ता जिस्म जानी।
राख बन जाता बदन यह-
इश्क़ हरदम कर रूहानी।।
©पंकज प्रियम
समंदर हूँ मैं लफ़्ज़ों का, मुझे खामोश रहने दो, छुपा है इश्क़ का दरिया, उसे खामोश बहने दो। नहीं मशहूर की चाहत, नहीं चाहूँ धनो दौलत- मुसाफ़िर अल्फ़ाज़ों का, मुझे खामोश चलने दो। ©पंकज प्रियम
Friday, November 15, 2019
721. इश्क़ रूहानी
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
3 comments:
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 15 नवम्बर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
शुक्रिया आपका
बहुत सुंदर और उम्दा सृजन।
Post a Comment