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Friday, October 18, 2019

691. सुहागन


1222 1222 1222 1222
करे सब कामना औरत, सुहागन ही रहूँ साजन,
पति की उम्र बढ़ने की, करे उपवास वो हरक्षण।
कभी यमराज से लड़ती, बनी वो सावित्री रानी-
भरा सिंदूर लाली और मंगलसूत्र से धड़कन।।
©पंकज प्रियम
गिरिडीह, झारखंड

Sunday, October 6, 2019

679. अधिकार

फ़क़त क्या याचना कर के, कभी अधिकार है मिलता?
चला गाण्डीव को रण में,   तभी अधिकार है मिलता।
कहाँ मिलता यहाँ सबको, नहीं आसान है इतना-
अगर खुद पे यकीं हो तो, सभी अधिकार है मिलता,

©पंकज प्रियम

Saturday, October 5, 2019

678. आदिशक्ति माँ

माँ

सती चण्डी जगत जननी, महादेवी उमा गौरी,
भवानी मात जगदम्बा, महाकाली  महागौरी।
भरो माँ रंग जीवन में, प्रियम की चाह है इतनी-
तुम्हारा हाथ हो सर पे, सदा आशीष माँ गौरी।

भरो माँ रंग जीवन में,..समर्पण भाव भक्ति माँ,
करूँ पूजा सदा तेरी,...भवानी आदि शक्ति माँ।
नहीं कोई बड़ी हसरत,..नहीं है चाह दौलत की-
तुम्हारा प्रेम मिल जाये, बता वो खास युक्ति माँ।

©पंकज प्रियम

677.प्रियम तो हार में मिलता


नहीं मैं बाग में खिलता....नहीं बाजार में मिलता,
उतर दिल के समंदर में, भँवर मझधार में मिलता।
नहीं मुश्किल पहेली मैं, अगर पाना कभी मुझको-
कभी दिल हार के देखो, प्रियम उस हार में मिलता।

©पंकज प्रियम

676. इश्क़

नहीं दिल बाग में खिलता.... नहीं बाजार में मिलता,
उतर जो आग का दरिया,.भँवर मझधार में मिलता।
डगर-ए-इश्क़ है मुश्किल, अगर पाना कभी इसको-
समर्पित जीत तुम कर दो, सदा दिल हार में मिलता।।

©पंकज प्रियम
गिरिडीह, झारखंड

Saturday, September 28, 2019

669. समन्दर

उफ़नती मचलती सी जवानी के जोश में,
अल्हड़ सी दरिया खुद समाये आगोश में।
फिर समंदर का भला इसमें दोष कैसा-
टकरा के मुहब्बत वो रहे कैसे होश में।।
©पंकजप्रियम

Friday, September 27, 2019

666.बैंक में पैसा

बैंक
1222 1222 1222 1222
गरीबों की जमा पूँजी, उसी से घर चलाते हो,
बुलाकर के अमीरों को, उन्हें कर्ज़ा दिलाते हो।
हमारे ही जमा रुपये, हमें तुम क्यूँ नहीं देते?
डुबाकर आज तुम पैसा, गरीबों को रुलाते हो।।

गरीबों की कमाई पर,  बड़े सपने सजाते हो,
जमा करते जतन से वो, खुले हाथों लुटाते हो।
बचा दो जून की रोटी, हमेशा बैंक में रखते-
लगाकर आग जीवन में, उन्हें जिंदा जलाते हो।।

शरम आती नहीं तुझको, गरीबों को सताते हो,
उसी के ख़ू पसीने से, अमीरों को नहाते हो।
जमा लाखों करोड़ों पर, महज है लाख गारंटी-
दिखा नुकसान बैंकों का, हमें ठेंगा दिखाते हो।

©पंकज प्रियम
26.09.2019
#PMC_RBI

Friday, September 6, 2019

648. निगाहें

निगाहें

निगाहें ख़ंजर का भी काम करती है,
जिधर उठती है कत्लेआम करती है।
इन आँखों की गुस्ताखियां तो देखो-
दिल की बातें भी सरेआम करती है।।

निगाहें मैख़ाने का भी काम करती है,
मुहब्बत के पैमाने में जाम भरती है।
डूबकर कभी इन आँखों में तो देखो-
खुद आंखों की नींद हराम करती है।।

निगाहें किताबों का भी काम करती है,
कोरे पन्नों से भी इश्क़ पैगाम करती है।
पढ़कर कभी देखो नैनों की तुम भाषा-
दिल के जज्बातों को सलाम करती है।।
©पंकज प्रियम

Monday, September 2, 2019

644.नज़र नजर

हुस्न/मुक्तक
विधाता छंद
1222*4
नज़र मेरी न लग जाये, ...जरा काजल लगा लो तुम,
नज़र सबकी न चढ़ जाये, गिरा आँचल उठा लो तुम।
ग़जब ये हुस्न है तेरा, .......तुझे जब देखता हूँ मैं-
कदम मेरे बहक जाते....जरा ये दिल सँभालो तुम।।
©पंकज प्रियम
2 सितम्बर 2019

643. हुस्न

मुक्तक
बदन को छू ले तो फिर, पवन बेताब हो जाता,
अधर को चूम कर तेरे,  चमन गुलाब हो जाता।
नहीं कोई करिश्मा है, तुम्हारा हुस्न है ऐसा-
नज़र में डूबकर तेरे, हसीं इक ख़्वाब हो जाता।।

बदन में छू अगर ले तो, पवन अलमस्त हो जाता,
अधर को चूमकर कर तेरे, अधर मदमस्त हो जाता।
हसीं इक ख़्वाब के जैसी, महकती बाग के जैसी-
नयन में डूबकर तेरे,..... प्रियम भी मस्त हो जाता।।
©पंकज प्रियम

Saturday, August 31, 2019

639. लाहौर


करो मत बात कश्मीर की, अभी तो और भी लेंगे,
पिओके तो हमारा है,  उसे सिरमौर ही लेंगे।
अगर औकात भूला तो, समझ लो हश्र क्या होगा-
कराँची संग पेशावर,  झपट लाहौर भी लेंगे।।
©पंकज प्रियम
30 अगस्त 2019               

Wednesday, August 28, 2019

636. मानसी

बधाई मानसी

रचा इतिहास फिर देखो, यहाँ इक और बेटी ने,
कदम लाचार हैं तो क्या, रखा सिरमौर बेटी ने।
जोशी मानसी बेटी, कहाँ हिम्मत कभी हारी-
अगर चाहो सभी मुमकिन, दिखाया दौर बेटी ने।।
©पंकज प्रियम
28 अगस्त 2019

634. मुहब्बत

मुहब्बत
नहीं कोई ख़ता मेरी, नहीं कोई शरारत है,
ख़ता तुझसे हुई है पर, किया मुझसे बग़ावत है।
अगर मुझपे यकीं ना हो, जरा दिल से तुम्हीं पूछो-
तुझे मुझसे मुहब्बत है, मुझे तुझसे मुहब्बत है।

बहुत सम्मान करते हैं, तुम्हीं पे नाज करते है,
दफ़न जो राज़ है मेरा, खुलासा आज करते हैं।
ख़ता तूने किया लेकिन, नहीं मुझको शिकायत है-
भुला सारे गिले-शिकवे, नया आगाज़ करते हैं।
©पंकज प्रियम

Monday, August 26, 2019

633.कम्बख़्त इश्क़

आसमां से गिरकर लटकना खजूर हो गया,
कमबख्त इश्क़ में दिल अपना चूर हो गया।
मेरे लिखे प्रेम-पत्रों को उसने जो रद्दी में बेच
अफ़साना इसकदर अपना मशहूर हो गया।।
©पंकज प्रियम

Thursday, August 22, 2019

629.कृष्ण


बजाकर बाँस की बंशी, सदा राधा नचाये वो,
सखा बनके सभा में द्रौपदी अस्मत बचाये जो।
यशोदा के दुलारे वो, जगत के कृष्ण हैं स्वामी-
सुनाकर ज्ञान गीता का, महाभारत रचाये वो।।

कभी मीरा के मोहन वो, कभी राधा के माधव वो,
कभी कान्हा यशोदा के, कभी अर्जुन के केशव वो।
जगत स्वामी मदनमोहन, मनोहर कृष्ण गोपाला
कभी साथी सुदामा के, कभी गोविन्द गौरव वो।
©पंकज प्रियम

Saturday, July 27, 2019

615.धरती-बादल

छुपी आगोश में धरती, मुहब्बत देख बादल का,
बड़ा ही खूबसूरत सा, नजारा देख इस पल का।
समायी है धरा कैसी, जलद की बांह में जाकर-
मनोरम है बड़ा देखो, मिलन वसुधा व बादल का।।
©पंकज प्रियम

Thursday, July 25, 2019

613.मक्कार आज़म

आज़म
बड़ा बेशर्म बड़ा घटिया, बड़ा गद्दार है आज़म,
हमेशा ही जहर उगले, बड़ा मक्कार है आज़म।
करे वो बात नफरत की, करे अपमान औरत की-
यही इक काम है इसका, बड़ा बेकार है आज़म।।
©पंकज प्रियम

Sunday, July 21, 2019

607. आस्तीन का सांप आजम


    आज़म
छुपे आस्तीन में जैसा,  विषैला सर्प है आज़म
जहाँ रहता उसे डंसता, दिखाता दर्प है आज़म।
चले जाए जहाँ जाना,   इसे रोका यहाँ किसने-
बड़ा बनता मुसलमा ये, पढ़ा ना हर्फ़ है आजम।
©पंकज प्रियम

Saturday, July 20, 2019

606. कुदरत का प्रतिकार

कोई छेड़े जो कुदरत को, यही प्रतिकार है मिलता,
कहीं पे बाढ़ कहीं सूखा,   कहीं अँगार है मिलता।
मिटाकर सारे वन -उपवन, खड़ा कंक्रीट का जँगल-
धरा को कष्ट जब होता, यही उपहार है मिलता।।
©पंकज प्रियम


605.मज़हब


विधाता छन्द 1222*4
पढो कुरआन या गीता, प्रभु का सार बस दिखता,
नहीं नफऱत सिखाती ये, सभी में प्यार बस दिखता।
कहाँ मज़हब सिखाता है, किसी से बैर करने को-
अमन जिसको नहीं भाता, उसे तकरार बस दिखता।।

©पंकज प्रियम
गिरिडीह, झारखंड