Saturday, October 5, 2019

676. इश्क़

नहीं दिल बाग में खिलता.... नहीं बाजार में मिलता,
उतर जो आग का दरिया,.भँवर मझधार में मिलता।
डगर-ए-इश्क़ है मुश्किल, अगर पाना कभी इसको-
समर्पित जीत तुम कर दो, सदा दिल हार में मिलता।।

©पंकज प्रियम
गिरिडीह, झारखंड

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