Sunday, October 6, 2019

679. अधिकार

फ़क़त क्या याचना कर के, कभी अधिकार है मिलता?
चला गाण्डीव को रण में,   तभी अधिकार है मिलता।
कहाँ मिलता यहाँ सबको, नहीं आसान है इतना-
अगर खुद पे यकीं हो तो, सभी अधिकार है मिलता,

©पंकज प्रियम

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