Sunday, July 21, 2019

607. आस्तीन का सांप आजम


    आज़म
छुपे आस्तीन में जैसा,  विषैला सर्प है आज़म
जहाँ रहता उसे डंसता, दिखाता दर्प है आज़म।
चले जाए जहाँ जाना,   इसे रोका यहाँ किसने-
बड़ा बनता मुसलमा ये, पढ़ा ना हर्फ़ है आजम।
©पंकज प्रियम

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