Friday, September 27, 2019

666.बैंक में पैसा

बैंक
1222 1222 1222 1222
गरीबों की जमा पूँजी, उसी से घर चलाते हो,
बुलाकर के अमीरों को, उन्हें कर्ज़ा दिलाते हो।
हमारे ही जमा रुपये, हमें तुम क्यूँ नहीं देते?
डुबाकर आज तुम पैसा, गरीबों को रुलाते हो।।

गरीबों की कमाई पर,  बड़े सपने सजाते हो,
जमा करते जतन से वो, खुले हाथों लुटाते हो।
बचा दो जून की रोटी, हमेशा बैंक में रखते-
लगाकर आग जीवन में, उन्हें जिंदा जलाते हो।।

शरम आती नहीं तुझको, गरीबों को सताते हो,
उसी के ख़ू पसीने से, अमीरों को नहाते हो।
जमा लाखों करोड़ों पर, महज है लाख गारंटी-
दिखा नुकसान बैंकों का, हमें ठेंगा दिखाते हो।

©पंकज प्रियम
26.09.2019
#PMC_RBI

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