Saturday, September 29, 2018

439.मुक्तक,सुबह

सुबह की धूप है निकली,जरा तुम आँख तो खोलो ।
नहीं आलस करो इतना,अधर से आज कुछ बोलो ।।
हवाएं कह रही है क्या, चलो अब आज सुन भी लो ।
प्रणय के रंग जीवन में , बहाने साथ तुम हो लो ।।

सुहानी धूप है बिखरी,जरा किरणों से तुम मिल लो
नहीं सोये रहो इतना, जरा बिस्तर से तुम हिल लो
फिजाएं कह रही है क्या,नहीं सुनना तुझको क्या?
जवानी रुप सी निखरी,जरा फूलों से तुम खिल लो।

सुप्रभात
✍पंकज प्रियम

सुप्रभात
✍पंकज प्रियम

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