नील गगन
नीलगगन अलमस्त पवन
महक उठे सब चन्दन वन
दूर गगन करे पंछी विहार
चहक उठा तब अन्तर्मन।
चढ़ उठी जब नील गगन
मद्धम मद्धम सूर्य किरण
बहक उठी जब से बयार
महक उठा तब अन्तर्मन।
अम्बर खिला नील गगन
पुलकित हुए वन उपवन
वसुधा भी जब हर्षित हुई
बहक उठा तब अन्तर्मन।
©पंकज प्रियम
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