Tuesday, September 25, 2018

435.सज़ा(गज़ल)

ग़ज़ल
मुहब्बत क्या खाक मजा देगा
कुछ नहीं दिल को सजा देगा।

हररोज आंखों से नींद उड़ाकर
तेरी खुशियों की बैंड बजा देगा।

चैन सुकून सबकुछ लूटा कर
एक दिन ख़ाक में मिला देगा।

नशा इस कदर छाएगा तुमपर
निगाहों से यूँ जाम पिला देगा।

लबों की खामोशी पे मत जाना
वो तो निगाहों से ही जता देगा।

कितना छुपाओगे राज अपना
तेरा हुलिया सबकुछ बता देगा।


किस पर यकीन करोगे "प्रियम"
तेरा दिल ही जब तुझे दग़ा देगा।
पंकज प्रियम

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