Wednesday, September 26, 2018

434.खुशियां

उम्र के आखिरी मोड़पर
सब दुनियादारी छोड़कर
आ मिली जब दो बहना
फिर खुशी का क्या कहना?

गुजरी यादें सब ताजा हुई
बीती बातें जब साझा हुई
खिलखिला पड़ी दो बहना
फिर हँसी का क्या कहना?

जाने ऐसी क्या बात हुई
ठहाकों की बरसात हुई
दो बहनों का यूँ मिलना
लगा फूलों का खिलना।

चार दिनों का ताना बाना
खुशी-गम का आना जाना
जिंदगी आज जी ले बहना
कल का फिर क्या है कहना?
©पंकज प्रियम

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