Tuesday, August 7, 2018

400.बहन

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तितली बन उड़ती रहे,चहकाये घर द्वार।
चिड़ियाँ बनके जो उड़े,महकाए संसार।।

बहन से सम्मान बढ़े,भाई से अभिमान।
पत्थर से मकान बने,बहना फूंके जान।।

रिश्तों का बंधन जुड़ा,राखी का त्यौहार।
धागों में कंचन गढ़ा,मोती सा ये प्यार।।

जीवन का अर्पण सदा,करे खुशी का दान।
मन सच्चा दर्पण बड़ा,बहन बड़ी नादान।।
©पंकज प्रियम

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