Sunday, August 12, 2018

406.मेरा हाथ

मेरा हाथ

जिंदगी का ये कारवाँ
लेकर जाए चाहे जहाँ
दे मुहब्बत की सौगात
थाम लो तुम मेरा हाथ।

ढल रहा है सूरज यहाँ
जाना तुझको है कहाँ
हो जायेगी अब तो रात
थाम लो तुम मेरा हाथ।

गोधूलि की ये लालिमा
चढ़ना हमको आसमां
जाना मुझको तेरे साथ
थाम लो तुम मेरा हाथ।

सफर नहीं ये आसान
बहुत ऊँची है चढ़ान
सुन लो तुम मेरी बात
थाम लो तुम मेरा हाथ।

सुबह की भरो उड़ान
या शाम की हो ढलान
देना तुम तो मेरा साथ
थाम लो तुम मेरा हाथ।

©पंकज प्रियम

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