Thursday, August 16, 2018

408.अटल अजातशत्रु

अजातशत्रु
रास्ता रोककर आज वो खड़ी हो गई
सच! जिंदगी से मौत तो बड़ी हो गई।
लड़ लेता जो दुश्मन कोई और होता
मौत तो गले लगाने को खड़ी हो गई।

न थका न रुका तू जीवन के सफर में
चलता ही रहा हमेशा सत्य के डगर में
एक वोट से गिर गयी सरकार तुम्हारी
लेकिन गिरा नही तू किसी के नज़र में।

बनके अजातशत्रु हमेशा तुम खड़े रहे
सियासी चक्रव्यूह में भी तुम अड़े रहे
बाधाएं आती रही,तुम्हें डगमगाती रही
लेकिन दुश्मन के सीने पर तुम चढ़े रहे।

आज मौत क्या जिंदगी से बड़ी हो गई
जो तुम्हारी राह रोक कर खड़ी हो गई
छुप गया सूरज,एक युग का अंत हुआ
डूबा सावन,यूँ आँखों की झड़ी हो गई।

पक्ष-विपक्ष,सबकी आंखों का तारा थे
लोकतंत्र के क्षितिज,एक ध्रुव तारा थे
अपने उसूलों पर हमेशा ही अटल रहे
साहित्य सरिता बहती अविरल धारा थे।

प्रखर कवि ओजस्वी दहाड़ती बोली थी
विरोधियों को सदा चित करती गोली थी
सौम्य हृदय नेता कुशल सदा सरल रहे
निश्छल निर्मल मुस्कान बड़ी भोली थी।
©पंकज प्रियम
श्रद्धेय श्री अटल बिहारी बाजपेयी जो  शत शत नमन 
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