Tuesday, August 21, 2018

411.मौत से क्या डरना

मौत से क्या डरना है

नाशवान शरीर हमारा
एक दिन इसको मरना है
आत्मा तो अमर हमारा
मौत से फिर क्या डरना है।
   
फल पे वश नहीं हमारा
बस कर्म हमें तो करना है
माटी का ये शरीर हमारा
माटी में ही तो विखरना है।

रह जाएगा नाम हमारा
कुछ ऐसा काम करना है
याद कर रोये जग सारा
सत्कर्मो से घड़ा भरना है।

गूंजेगा हर शब्द हमारा
सृजन कुछ ऐसा करना है
रहेगा हर वक्त हमारा
जीवन को ऐसा करना है।
©पंकज प्रियम

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