Sunday, August 12, 2018

405.अधर आमंत्रण


मुक्तक

अधरों पे नियंत्रण है,नजरों का निमंत्रण है
तेरे गेसू में ये लटके,गजरों का आमंत्रण है।
ये तेरी चाह कैसी है,ये मेरी राह कैसी है
मुहब्बत के समंदर में,लहरों का समर्पण है।
©पंकज प्रियम

नजरों का निमंत्रण है,अधरों का आमंत्रण है
मुहब्बत के समंदर में,लहरों का समर्पण है।
ये तेरी चाह कैसी है ,इश्क की राह कैसी है
इबादत इश्क़ अर्पण है,कतरों का तर्पण है।
©पंकज प्रियम

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