Thursday, August 30, 2018

419.विरोध

विरोध

गरीबों पे जुल्म जब होता है
तड़प के मासूम जब रोता है।
उबल पड़ता है खून रगों का
खुलकर विरोध तब होता है

नारी का सम्मान जब खोता है
उसका अभिमान जब रोता है
दिलों का ज़ख्म हरा हो जाता
फूटकर  विरोध तब होता है।

राजा तानाशाह जब होता है
राजा लापरवाह जब होता है
प्रजा में असंतोष भर जाता
जमकर विरोध तब होता है।
©पंकज प्रियम

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