Thursday, July 4, 2019

593.छाँव

मुक्तक
अहमियत पेड़ की देखो,....समूचा गाँव है बैठा,
कड़ी है धूप जो बाहर,...सभी को छाँव दे बैठा।
अगर सब पेड़ काटोगे,....कहाँ से छाँव पाओगे-
कदम की चाह में तुमने, कुल्हाड़ी में पाँव दे बैठा।।

©पंकज प्रियम

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