Sunday, July 28, 2019

616.हसीन लाज़वाब

ग़ज़ल
बहर-1212 1212
खिला हुआ गुलाब तुम,
हसीन लाज़वाब तुम।

खुमारियां बहुत अगर,
शराब बेहिसाब तुम।

नज़र मिली हुआ असर,
बहक रही शबाब तुम।

कटार मारती नज़र,
हसीन एक ख़्वाब तुम।

सवाल क्या करे प्रियम,
सवाल तुम जवाब तुम।

©पंकज प्रियम

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